Friday, September 28, 2007

भगत needed again

कुछ दिन पहले बस की छत पर बैठकर गांव जा रहे थे ,harmender भाई बता रहे थे की सरकार कैसे किसानों के साथ ना इन्साफी कर रही गेहूं के मामले में और रिटेल और contract farming से किसानों को दोबारा से बडे ज़मिंदारो (reatail company) के गुलाम बाना रही है।आज भगत सिंह का जन्मदिन सिर्फ मनाया जा रह हाइ सिर्फ एक थोथा नमस्कार करने के लिए । किसानों की हालत बुरी से बुरी होती जा रही हैं । सरकार बड़ी पूंजीवादी कंपनी का साथ दे रही है जिनका मकसद सिर्फ फायदा कमाना होता है हर हालत में। भगत सिंह के नाम पर बहुत सरे छात्र संगठन बन गए जिनका मकसद किसानों की सहायता नही बल्कि भर्ष्ट राजनीतिज्ञों के लिए काम करना . अभी सभी छात्र संगठन विचारिक क्रान्ति से बहुत दूर है इसलिये भगत सिंह के सपने साकार होते नहीं दिख रहे है ,भगत सिंह जैसे लोगो की याद सिर्फ एक मूर्ति पर माला डाल कर या एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश मना कर भुला दी जाती है . अब तक युवा वर्ग को भगत सिंह के विचारों की समझ नहीं हूई है ,जिसके बिना हमारे समाज सम्पन्नता नहीं आ सकती . अभी हज़ारों विचारिक क्षमता वाले नौजवानों की आवश्यकता है अपने मरते हुये समाज को .

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