Wednesday, May 28, 2008
परमात्मा बरस रहा है
अभी कुछ दिन पहले बारिश हो रही थी और मैं शास्वत जी के साथ बैठा हुआ था .शास्वत जी बोले "देखते हो राम बरस रहा है , परमात्मा बरस रहा है , हम ही नही भीग पाते हैं उसकी बारिश में ," शास्वत जी कहते है हम परमात्मा के प्रति सवेंदेंशील नही हैं , हम सोये हुए है इसीलिए तो हमारी उनसे मुलाकात हो ही नही पाती जब बारिश हो रही होती है तब हम प्रकृति के ज्यादा करीब होते हैं और उस से जुड़ना आसान हो जाता है असली स्नान तो परमात्मा की बारीश में ही हो सकता है जब जन्मों जन्मों के धूल आत्मा से साफ हो जाती है
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