Wednesday, May 28, 2008
परमात्मा बरस रहा है
अभी कुछ दिन पहले बारिश हो रही थी और मैं शास्वत जी के साथ बैठा हुआ था .शास्वत जी बोले "देखते हो राम बरस रहा है , परमात्मा बरस रहा है , हम ही नही भीग पाते हैं उसकी बारिश में ," शास्वत जी कहते है हम परमात्मा के प्रति सवेंदेंशील नही हैं , हम सोये हुए है इसीलिए तो हमारी उनसे मुलाकात हो ही नही पाती जब बारिश हो रही होती है तब हम प्रकृति के ज्यादा करीब होते हैं और उस से जुड़ना आसान हो जाता है असली स्नान तो परमात्मा की बारीश में ही हो सकता है जब जन्मों जन्मों के धूल आत्मा से साफ हो जाती है
Monday, May 26, 2008
स्वर्ग के बीज
कपास के बीज के चुनाव में मेरा दोस्त दुविधा में पड़ गया कि कौन सी किस्म अच्छी है ? हम सभी कई पौधा या जानवर कि अची नसल का चुनाव करते हैं आदमी पेड़ पौधों और जानवरों कि अची नस्लों के बारे में तो सोच रहा है सिर्फ़ अपनी नहीं, और अगर थोड़ा बहुत सोचा है तो उसी तरह सोचा है जैसे जानवरों के लिए सोचा है परन्तु दोनों के लिए समान तरीके से नही सोच सकते क्यूंकि जानवरों के में तो उनका शारीरिक विकास ही मुख्य होता है टेस्ट ट्यूब बेबी सिर्फ़ शारीरिक विकास तक ही सीमित है परन्तु आदमी तो तीन आयामों में एक साथ विकास करता है शारीरिक ,मानसिक और अध्यात्मिक
तीनों आयामों में बच्चे का विकास पुरी तरह से हो सकी इसलिए इसकी तैयारी जन्म से पहले ही होनी चाहिए जैसे खेत में बिज बोने से पहले तैयारी कि जाती है जैसे बच्चे का शरीर माता पिता के शरीर पर निर्भर करता है तो शारीरिक रूप से माता पिता को वैसे ही ढाल लेना चाहिए जैसी वो संतान चाहते हैं मानसिक अवस्था माता पिता कि पुरी प्रक्रिया के दौरान जो होती है ,वो बच्चे के मन को प्रभावित करती है ,और जितना गहन प्रेम और आत्मीयता होगी उतनी ही उच्चतर अतामा जन्म लेगी इसका पूरा विज्ञान है उच्चतम आत्माओं के जनम से ही धरती स्वर्ग बन सकती है और मनुष्यता का विकास हो सकता है जरूरी है की हम आने वालें बच्चे कैसे हो इस पर ध्यान दें
तीनों आयामों में बच्चे का विकास पुरी तरह से हो सकी इसलिए इसकी तैयारी जन्म से पहले ही होनी चाहिए जैसे खेत में बिज बोने से पहले तैयारी कि जाती है जैसे बच्चे का शरीर माता पिता के शरीर पर निर्भर करता है तो शारीरिक रूप से माता पिता को वैसे ही ढाल लेना चाहिए जैसी वो संतान चाहते हैं मानसिक अवस्था माता पिता कि पुरी प्रक्रिया के दौरान जो होती है ,वो बच्चे के मन को प्रभावित करती है ,और जितना गहन प्रेम और आत्मीयता होगी उतनी ही उच्चतर अतामा जन्म लेगी इसका पूरा विज्ञान है उच्चतम आत्माओं के जनम से ही धरती स्वर्ग बन सकती है और मनुष्यता का विकास हो सकता है जरूरी है की हम आने वालें बच्चे कैसे हो इस पर ध्यान दें
Tuesday, October 9, 2007
Rural Business Summit एक बहुत अच्छा प्रयास
FICCI द्वारा आयोजित India Rural Business Summit एक बहुत अच्छा प्रयास है ग्रामीण क्षेत्र में व्यापार और रोजगार की उपलब्धता बढाने के लिए 9 मंत्रालयों के सहयोग से किये गए इस Rural Business Summit मॆं देश के सभी राज्यों से लोगों ने हिस्सा लिया और विदेशों से भी बहुत संख्या में लोग आये हुये थे यहाँ पर मुझे बहुत से rural entrepreneurs से मिलने का मौका मिला और उनके अनुभव सुने, युसूफ दीवान और कई मित्रों ने अच्हे उदहारण प्रस्तुत किये है. रिलायंस रिटेल ,टाटा, icici bank, और भी बहुत सी निजी कम्पनियों ने ग्रामीण क्षेत्र में रूचि दिखा रहे है. NABARD, MSME ,Min of Commerce & Industry ,Indian Post, min of Rural Development सभी ग्रामीण entrepreneurs की सहायता को आगे आ रहे हैं लग रहा है की सरकार और निजी कम्पनियाँ अब वास्तविक भारत (गावों ) की तरफ ध्यान देने लग गयी हैं. यह एक सर्हानीय कदम है ग्रामीण लोगों की आर्थिक आजादी के लिए
Saturday, September 29, 2007
Calculate your Real Age
One day Prem Saaki was saying remedy for all miseries is love ।our life has no meaning except Love। He calculates the real age as sum of the moments lived in love. He further says most of us waste 60-70 years waste for money, sex, position etc and having real age zero. God Krishna who is yogashreshth (best yog guru ever been on earth) but give message of love and egoless ness throughout the life. Growing in love is real utilization of the precious life given by nature .
Drop the mind and be heart centered.
Drop the mind and be heart centered.
Friday, September 28, 2007
भगत needed again
कुछ दिन पहले बस की छत पर बैठकर गांव जा रहे थे ,harmender भाई बता रहे थे की सरकार कैसे किसानों के साथ ना इन्साफी कर रही गेहूं के मामले में और रिटेल और contract farming से किसानों को दोबारा से बडे ज़मिंदारो (reatail company) के गुलाम बाना रही है।आज भगत सिंह का जन्मदिन सिर्फ मनाया जा रह हाइ सिर्फ एक थोथा नमस्कार करने के लिए । किसानों की हालत बुरी से बुरी होती जा रही हैं । सरकार बड़ी पूंजीवादी कंपनी का साथ दे रही है जिनका मकसद सिर्फ फायदा कमाना होता है हर हालत में। भगत सिंह के नाम पर बहुत सरे छात्र संगठन बन गए जिनका मकसद किसानों की सहायता नही बल्कि भर्ष्ट राजनीतिज्ञों के लिए काम करना . अभी सभी छात्र संगठन विचारिक क्रान्ति से बहुत दूर है इसलिये भगत सिंह के सपने साकार होते नहीं दिख रहे है ,भगत सिंह जैसे लोगो की याद सिर्फ एक मूर्ति पर माला डाल कर या एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश मना कर भुला दी जाती है . अब तक युवा वर्ग को भगत सिंह के विचारों की समझ नहीं हूई है ,जिसके बिना हमारे समाज सम्पन्नता नहीं आ सकती . अभी हज़ारों विचारिक क्षमता वाले नौजवानों की आवश्यकता है अपने मरते हुये समाज को .
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